तम्बाकू और ई-सिगरेट के विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री मार्क बटलर ऐतिहासिक कदम उठा रहे हैं, भारत के स्वास्थ्य मंत्री कब जागेंगे?
कैंसर बीमारी के विरुद्ध कार्य कर रहे संस्थानों के लिए आज वैश्विक पटल पर एक अहम मुद्दा हम सभी के सामने आया। ऐसे में अपने भारत के लोगों से इस खबर को साझा करना भी मेरे लिए महत्वपूर्ण है।
ऑस्ट्रेलिया की सरकार देश में तम्बाकू और और ई-सिगरेट उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने जा रही है। ऑस्ट्रेलिया के युवाओं को बेहतर जिंदगी देने के लिए वहां की सरकार ई-सिगरेट के लिए न्यूनतम गुणवत्ता मानकों को पेश करेगी, जिसमें स्वाद, रंग और अन्य सामग्री को प्रतिबंधित करना शामिल है। अब ऑस्ट्रेलिया में ई-सिगरेट उत्पादों को फार्मास्युटिकल जैसी पैकेजिंग की आवश्यकता होगी। सभी एकल-उपयोग, डिस्पोजेबल ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
सोमवार रात एबीसी के क्यू एंड ए पर बोलते हुए, स्वास्थ्य मंत्री, मार्क बटलर ने कहा कि तंबाकू उद्योग ई-सिगरेट के माध्यम से "निकोटीन की लत की नई पीढ़ी" बनाने की कोशिश कर रहा था और वह "इस सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे पर मुहर लगाने के लिए दृढ़ संकल्पित" था।
ऑस्ट्रेलिया के कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आवाज उठाई है कि गलत लेबलिंग और आयात खामियों के शोषण को रोकने के लिए गैर-निकोटीन ई-सिगरेट उत्पादों पर सीमा नियंत्रण भी रखा जाना चाहिए। वहां के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि ई-सिगरेट निर्माताओं द्वारा आयात प्रतिबंधों से बचने के लिए निकोटीन युक्त उत्पादों पर "निकोटीन-मुक्त" लिखकर गलत तरीके से पैकेट पर जानकारी दी जाती है, जिससे बच्चे आसानी से ई-सिगरेट खरीदने में सक्षम हो जाते हैं, इस वजह से वहां के युवा अक्सर अनजाने में निकोटीन सूंघ लेते हैं और इसके आदी हो जाते हैं।
यह कितनी अच्छी बात है कि ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री मार्क बटलर को इस बात की फ़िक्र है कि उनके राष्ट्र के युवा पीढ़ी को किस तरह नुकसान किया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे जानकारी दी की सुविधा स्टोर और अन्य खुदरा विक्रेताओं में ई-सिगरेट की बिक्री को समाप्त करने के लिए सरकार राज्यों और क्षेत्रों के साथ भी काम करेगी।
ऑस्ट्रेलिया के मीडिया के अनुसार स्वास्थ्य मंत्री मार्क बटलर का मानना है कि यह समस्या "ऑस्ट्रेलियाई इतिहास में सबसे बड़ी खामी" बन गई है जिससे निपटने के लिए संघीय बजट में भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
बटलर के भाषण के एक अंश में कहा गया है, "लंबे समय तक धूम्रपान करने वालों को धूम्रपान छोड़ने में मदद करने के लिए ई-सिगरेट को दुनिया भर की सरकारों और समुदायों को एक चिकित्सीय उत्पाद के रूप में बेचा गया था।" उनके भाषण में ई-सिगरेट को लेकर आगे कहा गया है कि "ई-सिगरेट विशेष रूप से हमारे बच्चों के लिए मनोरंजक उत्पाद के रूप में नहीं बेचा गया था, लेकिन यह मनोरंजक उत्पाद बन गया है, जो आज ऑस्ट्रेलियाई इतिहास की सबसे बड़ी खामी है।
ऑस्ट्रेलिया के मीडिया के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार वहां के लोगों को धूम्रपान छोड़ने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए साक्ष्य-आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य सूचना अभियान के लिए बजट में धन में $ 63 मिलियन शामिल किया गया हैं। यह भी जानकारी मीडिया में दी गई है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ लंबे समय से नए सिरे से धूम्रपान विरोधी विज्ञापन अभियान चलाने की मांग कर रहे हैं। आस्ट्रेलियाई लोगों को धूम्रपान व् ई-सिगरेट छोड़ने में मदद करने के लिए समर्थन कार्यक्रमों में $30 मिलियन का निवेश किया जाएगा और स्वास्थ्य चिकित्सकों के बीच धूम्रपान और निकोटीन समाप्ति में शिक्षा और प्रशिक्षण को मजबूत किया जाएगा।
ऑस्ट्रेलिया के उच्च विद्यालयों में ई-सिगरेट इस वक्त बच्चों के लिए व्यवहारिक मुद्दा बना हुआ है और यह प्राथमिक विद्यालयों में व्यापक होता जा रहा है। पिछले 12 महीनों में, विक्टोरिया की ज़हर हॉटलाइन ने चार साल से कम उम्र के बच्चों के बीमार होने या ई-सिगरेट का उपयोग करने से बीमार होने के बारे में 50 कॉल प्राप्त की हैं।
इस खबर के अनुसार जरा भारत की जमीनी स्थिति को टटोलिये, युवाओं को जरा समझिये और फिर मौजूदा सरकार की स्थिति को भी जानिए। क्या भारत के स्वास्थ्य कर्मी बाकई इस मुद्दे को लेकर चिंतित हैं? विचार जरूर कीजियेगा?
- डॉ. अजय हार्डिया, निदेशक,
देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर
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