आज डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी को भारत याद कर रहा है। इसके साथ इटली के रिओला पोंटे स्थित अलवर आल्टो के चर्च में भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इसकी जानकारी आर्काइवो म्यूजिओ सीजर मैटी ए पी एस की ओर से सोशल मीडिया पर दी गई है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी के जनक डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी की आज 127वीं पुण्यतिथि है। इस दौरान इटली के कलाकार मिशेल वेंटुरी, घेरार्डो ज़ुबेर व् वेलेंटीना ने अपने सुखद संगीत के माध्यम से डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी को श्रद्धांजलि दिए हैं, लेकिन इससे कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो आपसे मैं साझा करना चाहता हूँ। 3 अप्रैल 1896 का जिक्र करूं उससे पहले 1895 को आपको समझना होगा। डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी की छवि को धूमिल की जा रही थी। एलोपैथिक चिकित्सकों के साथ उस दौर में निरंतर विवादें बढ़ती जा रही थी। कोंडेस्कु द्वारा 1895 में ही उन्हें जहर वाली तुर्की कॉफी परोस कर मारने की कोशिश भी हुई थी। उसके बाद फिर खबर आती है कि 3 अप्रैल 1896 को डॉ. कॉउंट सीजर मैटी का 87 वर्ष की आयु में निधन। जेफिरिनो तरुफी (किसान) द्वारा अपने खाता बही के कवर पर बनाए गए नोट्स के अनुसार, ताबूत को पोरेटा के संगीत के सम्मान के साथ सविग्नानो के छोटे चर्च में लाया जाता है। उस वक्त डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी के परिवार से मिलने के लिए तक़रीबन दो हज़ार लोग मौजूद होते हैं।
इतिहास की कई वो बातें हैं जो हमें इन मुद्दों पर कई संदर्भ में बातें करने के लिए प्रेरित करती है। इतिहास में हमने कई महापुरषों को साजिश का शिकार होते पढ़ा है, देखा है और इसका इतिहास गवाह भी है, मगर मौजूदा स्थिति में इलेक्ट्रो होम्योपैथी कहां है? इलेक्ट्रो होम्योपैथी के साथियों से एक जानकारी साझा करूंगा कि जब आईडीसी की बैठक आयोजित की गई थी तब मैंने सरकार के अधिकारीयों को देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में चल रहे तमाम गतिविधि की जानकारी लेने व् जाँच करने लिए आमंत्रित किया था।
कुछ वक्त बाद जब सरकार द्वारा किसी तरह की एक्शन नहीं ली गई तो हमारी टीम द्वारा पीएमओ को भी इस बात की जानकारी दी गई, तो इसके जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के उप सचिव मोहन लाल जी द्वारा पत्र के माध्यम से हमें इस बात की जानकारी दी। ''विषय: इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से भारत में कैंसर रोगियों के इलाज के लिए कदम के सबंध में। महोदय, आपकी याचिका की सामग्री पर ध्यान दिया गया है। हालांकि, यह कहा जा सकता है कि, वर्तमान में, इलेक्ट्रो होम्योपैथी भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्वास्थ्य देखभाल की प्रणाली नहीं है। प्रणाली की मान्यता के मुद्दे की वर्तमान में सरकार द्वारा गठित एक समिति द्वारा जांच की जा रही है। इसलिए, आपकी याचिका में उठाए गए मुद्दों पर विचार तभी हो सकता है जब इलेक्ट्रो होम्योपैथी की प्रणाली को सरकार द्वारा मान्यता दी जाए''।
दरअसल यह जवाब था। पीएमओ के भी इतिहास में यह याद किया जायेगा जब सरकार के सामने 8 लाख से अधिक कैंसर मरीज एक वर्ष में मृत्यु के शिकार हो रहे थे तो स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारीयों को दिल्ली से इंदौर आना मुनासिब नहीं लगा। इस बात को कहने में कोई गुरेज नहीं है कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी के लिए भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय फ़िलहाल सक्रिय भूमिका निभाना नहीं चाहता।
हम सभी का तो संघर्ष का इतिहास रहा है। संघर्ष का वर्तमान भी है। संघर्ष का भविष्य रहेगा। मैटी साहब भी अपने दौर में इन उलझनों को खूब देखें, डॉ. एन एल सिन्हा जी के बारे में तो हिंदुस्तान ने अपने जमीं पर इतिहास को लिखा है। मौजूदा वक्त में सरकार अगर पैसिव भूमिका में फिट है तो मुझे लगता है कि हमें अपनी जिम्मेदारी को और बढ़ाने की जरूरत है। अपने संकल्पों के साथ और तेज़ी से बढ़ने की जरूरत है।
हमारा मुख्य उदेश्य आम जन के स्वास्थ्य लाभ में भूमिका अदा करना है तो अपने उदेश्यों की प्राप्ति के लिए डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी के संघर्षों को यादकर, खुद को प्रेरित करते हुए इस नेक कार्य को करते हुए आगे बढ़ते रहना है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी के जनक व् पितृ पुरुष, विश्व को मानव विज्ञान की सेवा हेतु सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन में सबसे आधुनिक और सर्वोत्तम दवा के रूप में उपहार देने वाले हम सभी के प्रेरक, युगद्रष्टा व् महान चिकित्सक डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी को उनकी पुण्यतिथि पर सादर नमन- डॉ. अजय हार्डिया, निदेशक, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर।
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